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ख़ुश्बू का भेद | शाही शायरी
KHushbu ka bhed

नज़्म

ख़ुश्बू का भेद

खलील तनवीर

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तमाम उम्र जो पढ़ते रहे बदन की किताब
जो खो गए हैं सितारा-मिसाल हर्फ़ों में

वो लोग
रूह की ख़ुशबू का भेद पा न सके