कितने दिन में आए हो साथी
मेरे सोते भाग जगाने
मुझ से अलग इस एक बरस में
क्या क्या बीती तुम पे न जाने
देखो कितने थक से गए हो
कितनी थकन आँखों में घुली है
आओ तुम्हारे वास्ते साथी
अब भी मिरी आग़ोश खुली है
चुप हो क्यूँ? क्या सोच रहे हो
आओ सब कुछ आज भुला दो
आओ अपने प्यारे साथी
फिर से मुझे इक बार जिला दो
बोलो साथी कुछ तो बोलो
कब तक आख़िर आह भरूँगी
तुम ने मुझ पर नाज़ किए हैं
आज मैं तुम से नाज़ करूँगी
आओ मैं तुम से रूठ सी जाऊँ
आओ मुझे तुम हँस के मना लो
मुझ में सच-मुच जान नहीं है
आओ मुझे हाथों पे उठा लो
तुम को मेरा ग़म है साथी
कैसे अब इस ग़म को भुलाऊँ
अपना खोया जीवन बोलो
आज कहाँ से ढूँड के लाऊँ
ये न समझना मेरे साजन
दे न सकी मैं साथ तुम्हारा
ये न समझना मेरे दिल को
आज तुम्हारा दुख है गवारा
ये न समझना मैं ने तुम से
जान के यूँ मुँह मोड़ लिया है
ये न समझना मैं ने तुम से
दिल का नाता तोड़ लिया है
ये न समझना तुम से मैं ने
आज किया है कोई बहाना
दुनिया मुझ से रूठ चुकी है
साथी तुम भी रूठ न जाना
आज भी साजन मैं हूँ तुम्हारी
आज भी तुम हो मेरे अपने
आज भी इन आँखों में बसे हैं
प्यारे के अनमिट गहरे सपने
दिल की धड़कन डूब भी जाए
दिल की सदाएँ थक न सकेंगी
मिट भी जाऊँ फिर भी तुम से
मेरी वफ़ाएँ थक न सकेंगी
ये तो पूछो मुझ से छुट कर
तेरे दिल पर क्या क्या गुज़री
तुम बिन मेरी नाव तो साजन
ऐसी डूबी फिर न उभरी
एक तुम्हारा प्यार बचा है
वर्ना सब कुछ लुट सा गया है
एक मुसलसल रात कि जिस में
आज मिरा दम घुट सा गया है
आज तुम्हारा रस्ता तकते
मैं ने पूरा साल बिताया
कितने तूफ़ानों की ज़द पर
मैं ने अपना दीप जलाया
तुम बिन सारे मौसम बीते
आए झोंके सर्द हवा के
नर्म गुलाबी जाड़े गुज़रे
मेरे दिल में आग लगा के
सावन आया धूम मचाता
घिर-घिर काले बादल छाए
मेरे दिल पर जम से गए हैं
जाने कितने गहरे साए
चाँद से जब भी बादल गुज़रा
दिल से गुज़रा अक्स तुम्हारा
फूल जो चटके मैं ने जाना
तुम ने शायद मुझ को पुकारा
आईं बहारें मुझ को मनाने
तुम बिन मैं तो मुँह न बोली
लाख फ़ज़ा में गीत से गूँजे
लेकिन मैं ने आँख न खोली
कितनी निखरी सुब्हें गुज़रीं
कितनी महकी शामें छाईं
मेरे दिल को दूर से तकने
जाने कितनी यादें आईं
इतनी मुद्दत ब'अद तो प्रीतम
आज कली हृदय की खिली है
कितनी रातें जाग के साजन
आज मुझे ये रात मिली है
बोलो साथी कुछ तो बोलो
कुछ तो दिल की बात बताओ
आज भी मुझ से दूर रहोगे
आओ मिरे नज़दीक तो आओ
आओ मैं तुम को बहला लूँगी
बैठ तो जाओ मेरे सहारे
आज तुम्हें क्यूँ ग़म है बोलो
आज तो मैं हूँ पास तुम्हारे
अच्छा मेरा ग़म न भुलाओ
मेरा ग़म हर ग़म में समोलो
इस से अच्छी बात न होगी
ये तो तुम्हें मंज़ूर है बोलो
मेरे ग़म को मेरे शाएर
अपने जवाँ गीतों में रचा लो
मेरे ग़म को मेरे शाएर
सारे जग की आग बना लो
मेरे ग़म की आँच से साथी
चौंक उठेगा अज़्म तुम्हारा
बात तो जब है लाखों दिल को
छू ले अपने प्यार का धारा
मैं जो तुम्हारे साथ नहीं हूँ
दिल को मत मायूस करो तुम
तुम हो तन्हा तुम हो अकेले
ऐसा क्यूँ महसूस करो तुम
आज हमारे लाखों साथी
साथी हिम्मत हार न जाओ
आज करोड़ों हाथ बढ़ेंगे
एक ज़रा तुम हाथ बढ़ाओ
अच्छा अब तो हँस दो साथी
वर्ना देखो रो सी पड़ूँगी
बोलो साथी कुछ तो बोलो
आज मैं सच-मुच तुम से लड़ूँगी
जाग उठी लो दुनिया मेरी
आई हँसी वो लब पे तुम्हारे
देखो देखो मेरी जानिब
दौड़ पड़े हैं चाँद सितारे
झिलमिल झिलमिल किरनें आईं
मुझ को चंदन-हार पहनाने
जगमग जगमग तारे आए
फिर से मेरी माँग सजाने
आईं हवाएँ झाँझ बजाती
गीतों मोरा अंगना जागा
मोरे माथे झूमर दमका
मोरे हाथों कंगना जागा
जाग उठा है सारा आलम
जाग उठी है रात मिलन की
आओ ज़मीं की गोद में साजन
सेज सजी है आज दुल्हन की
आओ जाती रात है साथी
प्यार तुम्हारा दिल में भर लूँ
आओ तुम्हारी गोद में साजन
थक कर आँखें बंद सी कर लूँ
उट्ठो साथी दूर उफ़ुक़ का
नर्म किनारा काँप उठा है
मेरे दिल की धड़कन बन कर
सुब्ह का तारा काँप उठा है
दिल की धड़कन डूब के रह जा
जागी नबज़ो थम सी जाओ
फिर से मेरी बे-नम आँखो
पत्थर बन कर जम सी जाओ
मेरे ग़म का ग़म न करो तुम
अच्छा अब से ग़म न करूँगी
मेरे इरादों वाले साथी
जाओ मैं हिम्मत कम न करूँगी
तुम को हँस कर रुख़्सत कर दूँ
सब कुछ मैं ने हँस के सहा है
तुम बिन मुझ में कुछ न रहेगा
यूँ भी अब क्या ख़ाक रहा है
देखो! कितने काम पड़े हैं
अच्छा अब मत देर करो तुम
कैसे जम कर रह से गए हो
इतना मत अंधेर करो तुम
बोलो तुम को कैसे रोकूँ
दुनिया सौ इल्ज़ाम धरेगी
ऐसे पागल प्यार को साथी
सारी ख़िल्क़त नाम धरेगी
आओ मैं उलझे बाल संवारूँ
मुझ से कोई काम तो ले लो
फिर से गले इक बार लगा के
प्यार से मेरा नाम तो ले लो
अच्छा साथी! जाओ सिधारो
अब की इतने दिन न लगाना
प्यासी आँखें राह तकेंगी!
लेकिन ठहरो ठहरो साथी
दिल को ज़रा तय्यार तो कर लूँ
आओ मिरे परदेसी साजन!
आओ मैं तुम को प्यार तो कर लूँ
नज़्म
ख़ामोश आवाज़
जाँ निसार अख़्तर