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जश्न-ए-आज़ादी | शाही शायरी
jashn-e-azadi

नज़्म

जश्न-ए-आज़ादी

सरफ़राज़ शाहिद

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काम जो रिश्वत से बन जाए बनाना चाहिए
चोर-बाज़ारी में काला धन कमाना चाहिए

दूध में पानी बा-आज़ादी मिलाना चाहिए
जिस से मतलब हो उसे मक्खन लगाना चाहिए

दोस्तो! यूँ जश्न-ए-आज़ादी मनाना चाहिए?
चावल और गंदुम न कुछ फ़ौलाद पैदा कीजिए

निस्फ़ दर्जन कम से कम औलाद पैदा कीजिए
मसअले फिर आप ला-तादाद पैदा कीजिए

माहिर-ए-मंसूबा-बंदी को भगाना चाहिए
दोस्तो! यूँ जश्न-ए-आज़ादी मनाना चाहिए?

माँग है स्टेरीओ की और वी-सी-आर की
ख़ैर हो अब आडियो वीडियो के कारोबार की

शक्ल मिलने लग गई हैप्पी से बर-ख़ुरदार की
जिस के लप पर हर घड़ी डिस्को तराना चाहिए

दोस्तो! यूँ जश्न-ए-आज़ादी मनाना चाहिए?
रिक्शा ओ टैक्सी का मीटर तेज़ होना चाहिए

नर्सरी का मास्टर अंग्रेज़ होना चाहिए
अक़्द का मेआर इतना ''रेज़'' होना चाहिए

ज़िंदगी का पार्टनर मिस्ल-ए-''डियाना'' चाहिए
दोस्तो! यूँ जश्न-ए-आज़ादी मनाना चाहिए?

जी में जो आए किए जाओ कि तुम आज़ाद हो
मोटरें तेज़ी से दौड़ाओ कि तुम आज़ाद हो

हादसा कर के खिसक जाओ कि तुम आज़ाद हो
धर लिए जाओ तो फ़ौरन ''मकमकाना'' चाहिए

दोस्तो! यूँ जश्न-ए-आज़ादी मनाना चाहिए?
आज इस अंदाज़ को यकसर बदलना है हमें

हम बहुत बिगड़े हैं लेकिन अब सँवरना है हमें
देस की ख़ातिर ही जीना और मरना है हमें

जो न अब तक हो सका अब कर दिखाना चाहिए
दोस्तो! यूँ जश्न-ए-आज़ादी मनाना चाहिए?