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इज़हार का मतरूक रास्ता | शाही शायरी
izhaar ka matruk rasta

नज़्म

इज़हार का मतरूक रास्ता

ज़ाहिद इमरोज़

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इज़हार मोहब्बत के लिए लाज़मी नहीं
कि फूल ख़रीदे जाएँ

किसी होटल में कमरा लिया जाए
या परिंदे आज़ाद किए जाएँ

इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए तुम अपने बोसे
काग़ज़ में लपेट कर भेज सकती हो

जिस तरह मैं ने अपने जज़्बे
तुम्हें पोस्ट कर दिए हैं