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jinhen main DhunDhta tha aasmanon mein zaminon mein wo nikle mere zulmat-KHana-e-dil ke makinon mein
नज़्म
मज़हर इमाम
ख़ैर अच्छा हो तुम भी मेरे क़बीले में आ ही गए इस क़बीले में कोई किसी का नहीं एक ग़म के सिवा चेहरा उतरा हुआ बाल बिखरे हुए नींद उचटती हुई ख़ैर अच्छा हुआ तुम भी मेरे क़बीले में आ ही गए आओ हम लोग जीने की कोशिश करें