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इरफ़ान | शाही शायरी
irfan

नज़्म

इरफ़ान

राज नारायण राज़

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रात अमावस की थी मैं ने
नाग-फनी के इक काँटे पर

एक पल के सौवें हिस्से तक
सूरज को रौशन देखा था

फैल गया मेरी आँखों में
सौ रातों का घोर अंधेरा

और मुझे महसूस हुआ यूँ
घोर अंधेरे के सीने में

मैं बिजली का इक कौंदा हूँ