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इंतिक़ाम | शाही शायरी
intiqam

नज़्म

इंतिक़ाम

मोहम्मद अल्वी

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खिड़की बंद करो आओ
आँखें मीच के सो जाओ

कल सूरज आएगा तो
किरनों की पिचकारी से

खिड़की के शीशे धो कर
ठंडे ठंडे कमरे में

तुम को सोया देखेगा
और बहुत झल्लाएगा!