गाड़ी खींचना
और चलाते रखना
दो मुख़्तलिफ़ रौ में
बाहम रब्त-ओ-राह के नशेब-ओ-फ़राज़
रफ़्तार को मुतअस्सिर करते हैं
मुज़ाहिमत की सूरत में
ब्रेक लगाने में ही आफ़ियत है
क्यूँकि मद्द-ए-मुक़ाबिल को अपनी रफ़्तार पर क़ाबू नहीं अगरचे
आप को तो अपनी जान अज़ीज़ है
रफ़्तार पर कंट्रोल का रवय्या
ज़िंदगी को सहल और आसान बनाता है
और यही
ज़िंदगी करने का क़रीना भी है
नज़्म
इंतिबाह
शमीम अल्वी