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इक तेरे सिवा | शाही शायरी
ek tere siwa

नज़्म

इक तेरे सिवा

ज़ुबैर रिज़वी

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आ हिज्र के मौसम
बाहोँ में

मैं आज तुझे गुल-पोश करूँ
जी भर के मलूँ

इक तेरे सिवा
हर मौसम ने

इस के नामे ला ला के दिए
हम जिन पे जिए

इक तेरे सिवा
हर मौसम ने

उस के वा'दों को सच जाना
इक शब की उमीदों पे रक्खा

ऐ हिज्र के मौसम
पास तो आ

मैं आज तुझे गुल पोश करूँ
इक तो ही अकेला सच निकला

दिलदार मिरा झूटा निकला