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हुसूल-ए-आज़ादी की दिक़्क़तें | शाही शायरी
husul-e-azadi ki diqqaten

नज़्म

हुसूल-ए-आज़ादी की दिक़्क़तें

अहमक़ फफूँदवी

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हिन्द का आज़ाद हो जाना कोई आसाँ नहीं
देखना तुम को अभी क्या क्या दिखाया जाएगा

देखना तुम से अभी कितने किए जाएँगे मक्र
किस तरह तुम को अभी चक्कर में लाया जाएगा

तुम में डाला जाएगा इक सख़्त ओ नाज़ुक तफ़रक़ा
तुम को शह दे दे के आपस में लड़ाया जाएगा

पेशवायान-ए-मज़ाहिब को मिलेंगी रिश्वतें
ढोंग तब्लीग़ और शुद्धि का रचाया जाएगा

धर्म रक्षा के लिए तुम से लिए जाएँगे अहद
तुम को मज़हब अपना ख़तरे में दिखाया जाएगा

लीडरों से होंगे वादे ख़िलअत-ओ-इनआम के
क़िल्लत ओ कसरत का हंगामा उठाया जाएगा

तुम को परवाना अता होगा ख़िताब ओ जाह का
तुम को ओहदे दे के लालच में फँसाया जाएगा

गर ये तदबीरें मुक़द्दर से न रास आएँ तो फिर
दूसरी सूरत से तुम को डगमगाया जाएगा

इंतिहाई बरबरियत से लिया जाएगा काम
बंद कर के तुम को जेलों में सड़ाया जाएगा

दाना-पानी कर दिया जाएगा बिल्कुल तुम पे बंद
तुम को भूखों मार के क़ब्ज़े में लाया जाएगा

गर्म लोहे से तुम्हारे जिस्म दागे़ जाएँगे
तुम को कोड़े मार कर उल्लू बनाया जाएगा

जाएदादें सब तुम्हारी ज़ब्त कर ली जाएँगी
बाल-बच्चों पर तुम्हारे ज़ुल्म ढाया जाएगा

बावजूद उस के भी तुम क़ाएम रहे ज़िद पर अगर
बे-तअम्मुल तुम को फाँसी पर चढ़ाया जाएगा

इस तरह भी तुम अगर लाए न अबरू पर शिकन
सर तुम्हारे पाँव पर आख़िर झुकाया जाएगा