दुबला पतला नाज़ुक 'दौराँ'
शीशा जैसा नाज़ुक 'दौराँ'
ग़म की काली रात का मारा
अपने ही जज़्बात का मारा
आठों पहर यूँ खोया खोया
जैसे गहरी सोच में डूबा
कम हँसना आदत में दाख़िल
ख़ामोशी फ़ितरत में दाख़िल
शम्अ की सूरत बज़्म में जलना
गाह भड़कना गाह पिघलना
माथे पर हर वक़्त शिकन सी
चेहरा पर आज़ुर्दा थकन सी
चेहरे से महरूमी ज़ाहिर
मासूमी मज़लूमी ज़ाहिर
आँखें हर दम उमडी उमडी
पलकें हर दम भीगी भीगी
कर्ब आँखों में दर्द आँखों में
राह-ए-वफ़ा की गर्द आँखों में
सहमा सहमा शाम-ए-बला से
रूठा रूठा अपने ख़ुदा से
अक़्ल-ओ-ख़िरद से जी को चुराए
पागल-पन से बाज़ न आए
जाने दिल में किस की लगन है
रूह में किस काँटे की चुभन है
ये है अपना 'दौराँ' यारो
उलझा सुलझा 'दौराँ' यारो
लेकिन यारो यही मुसाफ़िर
राह-ए-वफ़ा का दुखी मुसाफ़िर
शानों पर इक बोझ को लादे
राह-ए-तलब में आगे आगे
दिल में इक मज़बूत इरादा
नज़रों में इक रौशन जादा
ग़म की लम्बी रात पे भारी
ज़ुल्म का और ज़ुल्मत का शिकारी
इंसानी तहज़ीब का क़ाइल
दुनिया की ता'मीर पे माइल
सई-ए-पैहम उस की तमन्ना
जगमग जगमग उस का रस्ता
उस की सारी फ़िक्र-ए-परेशाँ
इंसानी तंज़ीम की ख़्वाहाँ
नज़्में उस की जान-ए-मक़ासिद
रूह-ए-तमद्दुन शान-ए-मक़ासिद
सुब्ह पे शैदा शाम पे आशिक़
अपने वतन के नाम पे आशिक़
बातें रैब-ओ-रिया से ख़ाली
हर नक़्श-ए-किरदार मिसाली
प्यार इंसाँ का दिल में छुपाए
दर्द-ए-जहाँ सीने में बसाए
'दौराँ' है या रूह-ए-'दौराँ'
गिर्यां गिर्यां ख़ंदाँ ख़ंदाँ
इस की दुनिया अपनी दुनिया
इस दुनिया में सारी दुनिया
नज़्म
हिकायत-ए-'दौराँ'
ओवेस अहमद दौराँ