उस को शक था
ख़ुदा ने दो आधे जिस्म अमूदन जोड़ के
उस को तामीर किया है
जिस में इक हिस्सा अपना और एक पराया है
वो आधे आधे दो जिस्मों का हासिल है
वो अक्सर रात के काले चेहरे से डर जाता
तो अपनी ही गोद में छुप कर रोने लगता
ख़ुद से बातें करता
दीवारों से सर टकराता
अपनी तकमील की ख़ातिर
दोनों आधे जिस्मों को
बिस्तर पर तन्हा छोड़ के
अपने असली हिस्से की तलाश में खो जाता
लेकिन ख़ाली हाथों को जब
दोज़ख़ की जानिब लटकाए वापस आता
अपनी ही गर्दन में बाज़ू डाले
ख़ुद से लिपट कर सो जाता
नज़्म
हर्माफ्रोडाइट
ज़ाहिद इमरोज़