सूरज
मेरे एक पाँव का जूता है
दूसरे पाँव का जूता चाँद
इन से रात और दिनों में
लँगड़ाता चलता हूँ मैं
काश मैं अपने
दोनों जूते साथ पहनता
फिर कितने आराम से चलता
नज़्म
हमवारी
फ़रहत एहसास
नज़्म
फ़रहत एहसास
सूरज
मेरे एक पाँव का जूता है
दूसरे पाँव का जूता चाँद
इन से रात और दिनों में
लँगड़ाता चलता हूँ मैं
काश मैं अपने
दोनों जूते साथ पहनता
फिर कितने आराम से चलता