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हम अपनी ज़िंदगी के लिए शुक्र-गुज़ार हैं | शाही शायरी
hum apni zindagi ke liye shukr-guzar hain

नज़्म

हम अपनी ज़िंदगी के लिए शुक्र-गुज़ार हैं

सय्यद काशिफ़ रज़ा

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अपनी ज़िंदगी के लिए
हम एक क़त्ल के शुक्र-गुज़ार हैं

जिसे मोअख़्ख़र कर दिया गया
वर्ना एक मोहब्बत थी

जो हम ने दिल में छुपा कर रक्खी हुई थी
और एक नफ़रत थी

जिस का पता हम किसी को नहीं लगने देते थे
वर्ना हम ने

वही क़ुसूर किए थे जो
मारे जाने वालों ने किए थे

वर्ना हमारे बापों
हमारे जाने की वजह

हमारे बर्थ-सर्टिफ़िकेट में दर्ज करा दी थी
अपनी ज़िंदगी के लिए हम

एक क़त्ल के शुक्र-गुज़ार हैं
जिसे मोअख़्ख़र कर दिया गया

वर्ना हमें सिर्फ़
एक ख़ुद-कुशी का मम्नून रहना पड़ता

जो हम ने मुल्तवी कर रक्खी थी