ऋषी मुनी-ओ-ज्ञानी
ज्ञान सरत की गीदड़ संघी मिल जाए तो मुझे बताना
इसे बताना उसे बताना सब को बताना
मेरी आँखें तो तेरी दहलीज़ के बाहर
जाने कब से लटक रही हैं लौट के आना
ऋषी मुनी-ओ-ज्ञानी
सारे दरख़्तों पर चीलों की काली दहशत मंडलाती है
और जड़ों में साँप उगे हैं
हाँ बोधि का पेड़ कहीं मिल जाए तो बतलाना
लौट के आना
ऋषी मुनी-ओ-ज्ञानी

नज़्म
गौतम के लिए नज़्म
सरमद सहबाई