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गौतम के लिए नज़्म | शाही शायरी
gautam ke liye nazm

नज़्म

गौतम के लिए नज़्म

सरमद सहबाई

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ऋषी मुनी-ओ-ज्ञानी
ज्ञान सरत की गीदड़ संघी मिल जाए तो मुझे बताना

इसे बताना उसे बताना सब को बताना
मेरी आँखें तो तेरी दहलीज़ के बाहर

जाने कब से लटक रही हैं लौट के आना
ऋषी मुनी-ओ-ज्ञानी

सारे दरख़्तों पर चीलों की काली दहशत मंडलाती है
और जड़ों में साँप उगे हैं

हाँ बोधि का पेड़ कहीं मिल जाए तो बतलाना
लौट के आना

ऋषी मुनी-ओ-ज्ञानी