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ग़म न कर, ग़म न कर | शाही शायरी
gham na kar, gham na kar

नज़्म

ग़म न कर, ग़म न कर

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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दर्द थम जाएगा ग़म न कर, ग़म न कर
यार लौट आएँगे, दिल ठहर जाएगा, ग़म न कर, ग़म न कर

ज़ख़्म भर जाएगा
ग़म न कर, ग़म न कर

दिन निकल आएगा
ग़म न कर, ग़म न कर

अब्र खुल जाएगा, रात ढल जाएगी
ग़म न कर, ग़म न कर

रुत बदल जाएगी
ग़म न कर, ग़म न कर