जब मैं ने तुम्हारा जिस्म छुआ
मिरे अंदर कोई और था जिस ने और किसी का जिस्म छुआ
औरों की बेताब छुवन में
फिर मुझ जैसा
फिर तुम जैसा
कोई और था जिस ने और किसी का जिस्म छुआ
नज़्म
एक नज़्म
क़ाज़ी सलीम
नज़्म
क़ाज़ी सलीम
जब मैं ने तुम्हारा जिस्म छुआ
मिरे अंदर कोई और था जिस ने और किसी का जिस्म छुआ
औरों की बेताब छुवन में
फिर मुझ जैसा
फिर तुम जैसा
कोई और था जिस ने और किसी का जिस्म छुआ