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एक नज़्म | शाही शायरी
ek nazm

नज़्म

एक नज़्म

क़ाएम नक़वी

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दिल का दरिया चढ़ जाए तो
आँखों पर बंद बाँधना मुश्किल हो जाता है

इक लम्हा इक सदी बने तो
कहने वाली बात अधूरी रह जाती है

ये मौसम
ये विसाल का मौसम पत्ती पत्ती हो जाता है

होने और न होने का एहसास भी मिटने लगता है
दिल का दरिया चढ़ जाए तो

आँखों पर बंद बाँधना मुश्किल हो जाता है