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jinhen main DhunDhta tha aasmanon mein zaminon mein wo nikle mere zulmat-KHana-e-dil ke makinon mein
नज़्म
अनीस नागी
मिरा मुक़द्दर अजीब है मैं तवील रातों का वो दिया हूँ जो इक लगन से ज़मीर-ए-मुजरिम के ख़्वाब में कपकपा रहा हूँ इसे मिलेगी नजात मुझ को पता नहीं है मैं तीरगी का तज़ाद हूँ और ज़मीर-ए-मुजरिम का ख़्वाब हूँ