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एक मोहब्बत | शाही शायरी
ek mohabbat

नज़्म

एक मोहब्बत

ज़ीशान साहिल

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जीवन इक बे-अंत सफ़र है
दुनिया एक पराया घर है

उस घर के कोने खुदरों में
हम ने अपने ख़्वाब जमाए

बादल बोए दरिया पाए
दुख झेले और सुख फैलाए

धरती से आकाश को जोड़ा
इक मोहब्बत दिल में रक्खी

सारी उम्र उदासी चक्खी