बिछड़ते लम्हों में
उस ने मुझ से कहा था देखो
''हमारी राहें जुदा जुदा हैं
मगर हमें एक दूसरे का ख़याल रखना है ज़िंदगी भर
किसी भी लम्हे उदासियों की
फ़सील हाइल न होने देना
हवा के हाथों पे लिखते रहना
जुदाइयों के तमाम क़िस्से
क़दम क़दम पर जो पेश आएँ
वो सानेहे भी नज़र में रखना
मैं जब भी लौटा तो अपने होंटों की ताज़गी को
तुम्हारी बुझती हुई इन आँखों में ला रखूँगा
जो मेरी अपनी हैं सिर्फ़ मेरी''
बिछड़ते लम्हों में उस ने मुझ से न जाने क्या कुछ कहा सुना था
और अब
उसे भी यही कहेगा
वो जिस के हाथों में हाथ डाले
नए सफ़र पर निकल पड़ा है
नज़्म
एक जैसा मुकालिमा
नोशी गिलानी