लफ़्ज़ों को बे-कार न ख़ुर्चो
लफ़्ज़ों से पुल
पुल से नज़्में
नज़्मों से इज़हार-ए-अना के कितने दरीचे खुल जाते हैं
ईजाज़ से कह दो
नज़्म
ईजाज़
सुलैमान अरीब
नज़्म
सुलैमान अरीब
लफ़्ज़ों को बे-कार न ख़ुर्चो
लफ़्ज़ों से पुल
पुल से नज़्में
नज़्मों से इज़हार-ए-अना के कितने दरीचे खुल जाते हैं
ईजाज़ से कह दो