जान
मुझे अफ़्सोस है
तुम से मिलने शायद इस हफ़्ते भी न आ सकूँगा
बड़ी अहम मजबूरी है
जान
तुम्हारी मजबूरी को
अब तो मैं भी समझने लगी हूँ
शायद इस हफ़्ते भी
तुम्हारे चीफ़ की बीवी तन्हा होगी
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नज़्म
ड्यूटी
परवीन शाकिर
नज़्म
परवीन शाकिर
जान
मुझे अफ़्सोस है
तुम से मिलने शायद इस हफ़्ते भी न आ सकूँगा
बड़ी अहम मजबूरी है
जान
तुम्हारी मजबूरी को
अब तो मैं भी समझने लगी हूँ
शायद इस हफ़्ते भी
तुम्हारे चीफ़ की बीवी तन्हा होगी