अब याद नहीं सीने में कहीं
इक सूरज था सो डूब गया
अब अपना दिल है खोट-भरा
दुनिया को बदलने उट्ठे थे
दुनिया ने बदल डाला कि नहीं
नज़्म
दुनिया
साक़ी फ़ारुक़ी
नज़्म
साक़ी फ़ारुक़ी
अब याद नहीं सीने में कहीं
इक सूरज था सो डूब गया
अब अपना दिल है खोट-भरा
दुनिया को बदलने उट्ठे थे
दुनिया ने बदल डाला कि नहीं