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दुनिया | शाही शायरी
duniya

नज़्म

दुनिया

साक़ी फ़ारुक़ी

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अब याद नहीं सीने में कहीं
इक सूरज था सो डूब गया

अब अपना दिल है खोट-भरा
दुनिया को बदलने उट्ठे थे

दुनिया ने बदल डाला कि नहीं