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डिप्रेशन | शाही शायरी
depression

नज़्म

डिप्रेशन

मोहम्मद अल्वी

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कोई हादसा
कोई सानेहा

कोई बहुत ही बुरी ख़बर
अभी कहीं से आएगी!

ऐसी जान-लेवा फ़िक्रों में
सारा दिन डूबा रहता हूँ

रात को सोने से पहले
अपने-आप से कहता हूँ

भाई मिरे
दिन ख़ैर से गुज़रा

घर में सब आराम से हैं
कल की फ़िक्रें

कल के लिए उठा रक्खो
मुमकिन हो तो

अपने-आप को
मौत की नींद सुला रक्खो!!