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दस्ताने | शाही शायरी
dastane

नज़्म

दस्ताने

सईदुद्दीन

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मैं चीख़ता हूँ
मैं ने आज तक किसी चीज़ को नहीं छुआ

न किसी आवाज़ को
न दीवार को

न तुम्हारे बदन को
मैं तो ज़िंदगी भर

अपने हाथों से दस्ताने नहीं उतार सका