इतने घर
इतने सय्यारे
कंकर पत्थर कौन गिने
दस से ऊपर कौन गिने
औज़ारों के नाम बहुत हैं
हथियारों के दाम बहुत हैं
ऐ सौदागर कौन गिने
दस से ऊपर कौन गिने
ऐ दिल
ऐ बे-कल फ़व्वारे
कितने घाव बने हैं प्यारे
अपने अंदर कौन गिने
दस से ऊपर कौन गिने
कितनी लहरें टूट गई हैं बीच समुंदर कौन गिने
नज़्म
दस से ऊपर
सरवत हुसैन