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दस से ऊपर | शाही शायरी
das se upar

नज़्म

दस से ऊपर

सरवत हुसैन

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इतने घर
इतने सय्यारे

कंकर पत्थर कौन गिने
दस से ऊपर कौन गिने

औज़ारों के नाम बहुत हैं
हथियारों के दाम बहुत हैं

ऐ सौदागर कौन गिने
दस से ऊपर कौन गिने

ऐ दिल
ऐ बे-कल फ़व्वारे

कितने घाव बने हैं प्यारे
अपने अंदर कौन गिने

दस से ऊपर कौन गिने
कितनी लहरें टूट गई हैं बीच समुंदर कौन गिने