उस ने जब बोलना न सीखा था
उस की हर बात मैं समझती थी
अब वो शाएर बना है नाम-ए-ख़ुदा
लेकिन अफ़सोस कोई बात उस की
मेरे पल्ले ज़रा नहीं पड़ती
नज़्म
दाग़िस्तानी ख़ातून और शाएर बेटा
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
उस ने जब बोलना न सीखा था
उस की हर बात मैं समझती थी
अब वो शाएर बना है नाम-ए-ख़ुदा
लेकिन अफ़सोस कोई बात उस की
मेरे पल्ले ज़रा नहीं पड़ती