EN اردو
च्यूंटियाँ | शाही शायरी
chyunTiyan

नज़्म

च्यूंटियाँ

नील अहमद

;

सुरमई रात में
अपने ख़्वाबों को दीवार पर मार कर

पहले तोड़ा
फिर उस की सभी किर्चियाँ

अपने दामन में भर के
समुंदर की मौजों में डाल आए हम

थोड़ी हलचल हुई
दाएरे दाएरे से बिखरने लगे

नक़्श छोड़े बिना
ख़ुशबुओं की तरह

ख़्वाहिशें डूब कर ऐसे मरतीं रहीं
जैसे मरती हैं पैरों तले च्यूंटियाँ