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छछूंदर | शाही शायरी
chhachhundar

नज़्म

छछूंदर

मोहम्मद यूसुफ़ पापा

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लेटिए गर आप नंगे तख़्त पर
रीढ़ की हड्डी को होगा फ़ाएदा

एक मुद्दत से यही है क़ाएदा
लेकिन इस युग का तरीक़ा और है

बात ज़ेर-ए-ग़ौर है
तख़्त पर लेटें तो आ जाता है दस्त

इस लिए सब लोग ढीली चारपाई पर हैं मस्त
सख़्तियाँ बर्दाश्त कर पाते नहीं

जी नहीं पाते हैं
मर पाते नहीं

ज़िंदगानी साँप के मुँह की छछूंदर हो गई