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चौथा आसमान | शाही शायरी
chautha aasman

नज़्म

चौथा आसमान

मोहम्मद अल्वी

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और मैं ने ख़ुदा से कहा
देख तेरी मख़्लूक़

चौथे आसमान पर आ गई है
तो पर्दा-ए-ग़ैब से आवाज़ आई

''कुन''
और पलक झपकते में

सात और आसमान
चौथे आसमान पर फैल गए!

और मेरे अंदर
इक और जंगल उग आया!!