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चंद सतरें | शाही शायरी
chand satren

नज़्म

चंद सतरें

इंजिला हमेश

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एक मच्छर काग़ज़ पे लिखी तहरीर का ख़ून चूस रहा है
तुम नहीं देखते

कैसे कोई मच्छर अहल-ए-मेहनत की जिद्द-ओ-जहद का ख़ून चूस कर अपने हराम-ओ-जूद का मुज़ाहिरा करता है
कर सको तो करो

ये फ़ज़ा इतनी तअफ़्फ़ुन क्यूँ है
मैं तो हर जगह ठहरा हुआ ग़लत ख़ून देख रही हूँ