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चंद लम्हे विसाल-मौसम के | शाही शायरी
chand lamhe visal-mausam ke

नज़्म

चंद लम्हे विसाल-मौसम के

अासिफ़ शफ़ी

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दर्द की एक बे-कराँ रुत है
हब्स मौसम का राज हर जानिब

चंद लम्हे विसाल-मौसम के
वो नशीली ग़ज़ाल सी आँखें

कोई ख़ुश्बू सियाह ज़ुल्फ़ों की
लम्स फिर वो हिनाई हाथों का

कोई सुर्ख़ी वफ़ा के पैकर की
फिर से शीरीं-दहन से बातें हों

दिल की दुनिया उदास है कितनी
कोई मंज़र भी अब नहीं भाता

चंद लम्हे विसाल-मौसम के