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चमगादड़ | शाही शायरी
chamgadaD

नज़्म

चमगादड़

पैग़ाम आफ़ाक़ी

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मैं ने आज रात के आख़िरी पहर
ख़्वाब देखा है

कि मेरी खोपड़ी के अंदर
बहुत सारे चमगादड़

फड़फड़ा रहे हैं