ख़्वाब में कल शब
मेरा बुढ़ापा
मुझ को ढूँड रहा था
इस से पहले कि वो मुझ को आ लेता
मैं उस को चकमा दे कर
बची-खुची जवानी का धोका दे कर
अपनी क़ब्र में जा लेटा
नज़्म
चकमा
अब्दुल अहद साज़
नज़्म
अब्दुल अहद साज़
ख़्वाब में कल शब
मेरा बुढ़ापा
मुझ को ढूँड रहा था
इस से पहले कि वो मुझ को आ लेता
मैं उस को चकमा दे कर
बची-खुची जवानी का धोका दे कर
अपनी क़ब्र में जा लेटा