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चाँद | शाही शायरी
chand

नज़्म

चाँद

शीरीं अहमद

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रौशनी में अपनी
अजीब सी कशिश लिए

ये गोल दायरा
अपने वजूद का

एहसास दिलाता है
और

मुझ से
पूछता है

तुम
कौन हो

क्या पहचान है तुम्हारी