EN اردو
सच | शाही शायरी
sach

नज़्म

सच

याक़ूब तसव्वुर

;

मेरे चारों तरफ़
दायरा दायरा

इक फ़ुसूँ हयात तरह-दार है
ज़िंदगी गामज़न है उसी नहज पर

सच की तरवीज में
और लटकी हुई

सर पे तलवार है