आधा हिन्दू हूँ शराब पीता हूँ
आधा मुसलमान
कि सुअर नहीं खाता
मियाँ ग़ालिब फ़रमाते थे
'ख़याल' साहब आप भी
होते होते हो गए
शायद
आधे फ़रंगी
हरिद्वार की चौक पर
हरी हलवाई की दूकान में
देसी घी की पूरी सब्ज़ी खाते थे
मगर पीने के लिए
बिस्लेरी ही मंगवाते थे
नज़्म
बिस्लेरी
प्रियदर्शी ठाकुर ‘ख़याल’