आज से बारा बरस पहले बड़ा भाई मिरा
स्टालिनग्राड की जंगाह में काम आया था
मेरी माँ अब भी लिए फिरती है पहलू में ये ग़म
जब से अब तक है वही तन पे रिदा-ए-मातम
और इस दुख से मिरी आँख का गोशा तर है
अब मिरी उम्र बड़े भाई से कुछ बढ़ कर है
नज़्म
भाई
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़