EN اردو
बदलते पहलू | शाही शायरी
badalte pahlu

नज़्म

बदलते पहलू

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

;

कितनी दिलकश होती हैं ख़ुश-फ़हमियाँ
ख़त्म होने से पहले

बड़े रंगीन होते हैं ख़्वाब
बिखरने से पहले

बहुत हसीन होते हैं फूल
मुरझाने से पहले

बेहद ख़ूबसूरत होती है मोहब्बत
बेवफ़ाई से पहले

हर आग़ाज़ पहुँचता है अंजाम को
मिलन का पीछा करती है जुदाई

दिन के पहलू में रहती है रात
और ज़िंदगी का दामन थामे

साया सी चलती है मौत
ज़िंदगी के उतार-चढ़ाओ

दिल पर छोड़ जाते हैं नक़्श
अगर इंसान का बस चलता

क्या वो ख़ुशी के पल ही नहीं चुनता