EN اردو
बंद घर का राज़ | शाही शायरी
band ghar ka raaz

नज़्म

बंद घर का राज़

मोहम्मद अनवर ख़ालिद

;

तुम ने आँखों को बोसा दिया और उन्हें बंद कर के गए
अब ये तुम से भी खुल कर नहीं पूछतीं

तुम ने आँखों को बोसा दिया और उन्हें बंद कर के गए
एक ही राज़ रहता है हर बंद घर में

कि घर बंद रहता नहीं