तुम ने आँखों को बोसा दिया और उन्हें बंद कर के गए
अब ये तुम से भी खुल कर नहीं पूछतीं
तुम ने आँखों को बोसा दिया और उन्हें बंद कर के गए
एक ही राज़ रहता है हर बंद घर में
कि घर बंद रहता नहीं
नज़्म
बंद घर का राज़
मोहम्मद अनवर ख़ालिद
नज़्म
मोहम्मद अनवर ख़ालिद
तुम ने आँखों को बोसा दिया और उन्हें बंद कर के गए
अब ये तुम से भी खुल कर नहीं पूछतीं
तुम ने आँखों को बोसा दिया और उन्हें बंद कर के गए
एक ही राज़ रहता है हर बंद घर में
कि घर बंद रहता नहीं