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बगूले शोर करते हैं | शाही शायरी
bagule shor karte hain

नज़्म

बगूले शोर करते हैं

आदिल हयात

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बगूले
शोर करते हैं

मिरी ख़्वाहिश की दुनिया में
जहाँ वीरानियाँ हैं और

बहुत से बाँझ पेड़ों की क़तारें हैं
कि जिन की बे-करानी में

बहुत दिन हो गए
मौसम नहीं आए बहारों के

नहीं तो बुलबुलें चहकीं
नहीं तो फूल ही महके

मधुर आवाज़ कोयल की नहीं आई
बहुत दिन हो गए

कि हर-सू
गहरी वीरानी का कैसा दौर-दौरा है

मिरी ख़्वाहिश की दुनिया में
मगर फिर भी

बगूले शोर करते हैं