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अश्लोक | शाही शायरी
ashlok

नज़्म

अश्लोक

अहमद हमेश

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ज्ञान बुलंदी का कष्ट है
इस लिए आसानी से नहीं मिलता

ये और बात है
कि थोड़ी देर की बारिश में

अन-गिनत बरसाती गढ़े
आसमान का अक्स खींच कर इतराते हैं

और गहरे समुंदर पे हँसते हैं