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अपना शहर | शाही शायरी
apna shahr

नज़्म

अपना शहर

मख़दूम मुहिउद्दीन

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ये शहर अपना
अजब शहर है कि

रातों में
सड़क पे चलिए तो

सरगोशियाँ सी करता है
वो ला के ज़ख़्म दिखाता है

राज़-ए-दिल की तरह
दरीचे बंद

गुल चुप
निढाल दीवारें

किवाड़ मोहर-ब-लब
घरों में मय्यतें ठहरी हुई हैं बरसों से

किराए पर