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अल्मिया खेल का एक किरदार | शाही शायरी
almiya khel ka ek kirdar

नज़्म

अल्मिया खेल का एक किरदार

क़मर जमील

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जब मैं बच्चा था
रावी के गालों से डरता था

अब दुश्मन की चालों से डरता हूँ
मेरे बचपन में

आग की अतराफ़
द्राविड़ लड़कियाँ गीत गाती थी

और अब मैं एक होटल में
बैंड बजाता हूँ

और लोमड़ी की खाल से
अपना लिबास सीता हूँ