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अगर तुम तक मेरी आवाज़ नहीं पहुँच रही है | शाही शायरी
agar tum tak meri aawaz nahin pahunch rahi hai

नज़्म

अगर तुम तक मेरी आवाज़ नहीं पहुँच रही है

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

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अगर तुम तक मेरी आवाज़ नहीं पहुँच रही है
उस में एक बाज़गश्त शामिल कर लो

पुरानी दास्तानों की बाज़गश्त
और उस में

एक शाहज़ादी
और शाहज़ादी में अपनी ख़ूब-सूरती

और अपनी ख़ूब-सूरती में
एक चाहने वाले का दिल

और चाहने वाले के दिल में
एक ख़ंजर