मुद्दत से यही दुनिया कहती चली आई है
बचते रहो हर लम्हा
अफ़सर की अगाड़ी से घोड़े की पिछाड़ी से
लेकिन ये नया युग है
इस दौर में बतलाओ
कैसे कोई बच पाए
अफ़सर कभी घोड़ा है
घोड़ा कभी अफ़सर है

नज़्म
अफ़सर और घोड़ा
मोहम्मद यूसुफ़ पापा
नज़्म
मोहम्मद यूसुफ़ पापा
मुद्दत से यही दुनिया कहती चली आई है
बचते रहो हर लम्हा
अफ़सर की अगाड़ी से घोड़े की पिछाड़ी से
लेकिन ये नया युग है
इस दौर में बतलाओ
कैसे कोई बच पाए
अफ़सर कभी घोड़ा है
घोड़ा कभी अफ़सर है