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अफ़सर और घोड़ा | शाही शायरी
afsar aur ghoDa

नज़्म

अफ़सर और घोड़ा

मोहम्मद यूसुफ़ पापा

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मुद्दत से यही दुनिया कहती चली आई है
बचते रहो हर लम्हा

अफ़सर की अगाड़ी से घोड़े की पिछाड़ी से
लेकिन ये नया युग है

इस दौर में बतलाओ
कैसे कोई बच पाए

अफ़सर कभी घोड़ा है
घोड़ा कभी अफ़सर है