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आँसू | शाही शायरी
aansu

नज़्म

आँसू

साहिल अहमद

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जब तक निशान पुख़्ता नहीं हो जाता
आँसू नहीं कहलाता

आँसू सय्याल सूरत नहीं
जामिदाना वस्फ़ का भी हामिल है

क़ीमत-ए-अर्ज़-ए-हुनर की ख़ातिर
इस्तक़ामत, पुख़्तगी और गिरफ़्तगी-ए-फ़िक्र लाज़िम है

वक़्त हथेली पर ठहरी शबनम को आईना क्या दिखलाता
शबनम ख़ुद मुत्तसिफ़ है आईने की

नविश्ता है वक़्त की