ग़म का जब कोई मंज़र
हाँ ब-फ़ैज़-ए-बीनाई
रूह से गुज़रता है
दिल तलक पहुँचता है
तब कहीं पहुँचती है
आँख तक नमी दिल की
जिन की ख़ुश्क आँखों को
ये नमी नहीं हासिल
उन के पास सब कुछ है
पर मुझे यक़ीं है 'अदील'
है मगर कमी दिल की

नज़्म
आँसू
अदील ज़ैदी