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आख़िरी पत्तियों में | शाही शायरी
aaKHiri pattiyon mein

नज़्म

आख़िरी पत्तियों में

तनवीर अंजुम

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ये जंगलों की रात है
इस रात से आगे कोई बस्ती नहीं

ये ओस जो शाख़ों में है
पी लें उसे

इस ओस से आगे कोई नदी नहीं